मुझे भय और संकोच होता है जानकारों के लेखन की समीक्षा करते हुए, पुस्तक के प्रति आशंकित होता हूँ, और अपनी साहित्यिक सामर्थ्य को ले कर आतंकित रहता हूँ। अक्षिणी जी से परिचय ट्विटर से है। पुस्तक प्राप्त होने के बाद मैं लम्बे समय, कोई महीना दो महीना, इसे देखता रहा और इससे भयभीत होता रहा। यदि कविता पसंद न आयीं, तो क्या समीक्षा करूँ और यदि पसंद आयी तो क्या मेरी योग्यता होगी एक अकवि होने के नाते उसकी समीक्षा कर पाने की।