Leave a Comment / Poetries / By AkshiniBhatnagar कोई समंदर… कोई समंदर हो तुमया एक लहर भरदेर तक साथ हो तुमया एक पहर भरकोई रोशनी हो तुमया एक सहर भरकोई मंजिल हो मेरीया एक सफर भरचंद टुकड़े ज़िंदगीया फिर उमर भरवाकई मौत हो तुमया बस जहर भर‘इंतिहा’ उसे दोस्त कह देया कोई बशर भर.. अक्षिणी भटनागर