कोई समंदर…
कोई समंदर… कोई समंदर हो तुमया एक लहर भरदेर तक साथ हो तुमया एक पहर भरकोई रोशनी हो तुमया एक सहर भरकोई मंजिल हो मेरीया एक सफर भरचंद टुकड़े ज़िंदगीया फिर उमर भरवाकई मौत हो तुमया बस जहर भर‘इंतिहा’ उसे दोस्त कह देया कोई बशर भर.. अक्षिणी भटनागर
कोई समंदर… कोई समंदर हो तुमया एक लहर भरदेर तक साथ हो तुमया एक पहर भरकोई रोशनी हो तुमया एक सहर भरकोई मंजिल हो मेरीया एक सफर भरचंद टुकड़े ज़िंदगीया फिर उमर भरवाकई मौत हो तुमया बस जहर भर‘इंतिहा’ उसे दोस्त कह देया कोई बशर भर.. अक्षिणी भटनागर
काश तुम न होते.. काश तुम न होते .. तो मैं जी पाती जी भर,आँखों में भर पाती अंबर..तुम्हारे साथ जीवन ,दिन रात की तपन.. मैं बाँध के घुँघरू नाच न पाऊँ,दूर क्यूँ तुमसे भाग न पाऊँबात ये तुमसे कह न पाऊँ,साथ ये तेरा सह न पाऊँ.. काहे बाँधा व्यर्थ का बँधन,चुभता है अब ये …
एक था… एक था केजरीवाल..धरनाधीश हुआ करता था जो कमाल,अपने ही चेहरे पे मला करता था गुलाल. एक था केजरीवाल..इन दिनों जाने कहाँ गई उसकी जुबान,निकाला करता था बहुत बाल की खाल. एक था केजरीवाल..बहुत करता था जो फालतू के सवाल,अपनी ही धोती फाड़ के कर देता था रुमाल. एक था केजरीवाल..दिल्ली का कर दिया …
आभार.. सब स्वरों में ओम तुम हो,नश्वरों में प्राण तुम. ज्योति का आह्वान तुमसे,हो सकल संसार तुम. अग्नि का संधान तुमसे,वायु का संचार तुम. सब सत्य तुम हो भ्रम भी तुम,सब ज्ञान तुमसे विज्ञान तुम. स्वस्ति का संज्ञान तुमसे,सृष्टि का आधार तुम. सब स्वप्न हैं साकार तुमसेहो धरा आकाश तुम. हैं सभी संस्कार तुमसे,सोलहों श्रंगार …
आप के पाप.. ये आप के पाप,दिल्ली के हैं श्रापदिल्ली तुझको,करना होगा पश्चाताप ये आप के आप,नोट रहे हैं छापआस्तीन के साँप,और साँपों के बाप ये आप के आप,काम हैं इनके झाड़ू छापजनता रखती सबकी माप,नहीं करेगी अबकी माफ ये आप के आप,एल जी निकले आप के बाप,कान के नीचे दे दी झापआप के आप …
अथ श्री – पुराण समस्त संत- संतनियों को प्रणाम,शुरू करते हैं लेकर राम का नाम.खाली स्थान छोड़ा है जान बूझ कर ,चर्चा जिसकी है उसे रखते नहीं सर पर.मिलते हैं ये भांति भांति के,सब जाति और प्रजाति के.काठियावाड़ी चोंचदारतो जोधपुरी नोकदार,कोल्हापुरी दमदारतो कानपुरी रोबदारनया हो तो जगमगाए,और पुराना चरमराएचाँदी का चुभ जाए,और चमड़े का काट …
अगर तुम न होते.. अगर तुम न होते…साथ रहता है पल छिनतेरी सुबह का अहसासअलसाई सी दोपहर औरसुरमई शाम का अंदाजजी लेते हैं किसी तरहतेरी उम्मीद में मेरे सरकारतेरे आने से पहले तेरे जाने के बाद..ये ज़िंदगी की जद्दोजहद,सुबह से शाम की कशमकश,तेरे बगैर मुमकिन नहीं थी मेरे यारफिर लौट आने पै तेरा शुक्रिया इतवार..जीते …
अक्षिणी के दोहे.. भेजा जो चाटन मैं चला, भेजा मिला न मोय,जो सर खोजा आपना, भेजा पड़ा था सोय. निर्मम धागा प्रेम का, मत जोड़ो कविराय,चैन नहीं दिन रैन और मतिभ्रष्ट होई जाय. खरबूजे से खरबूजा मिले, बदले रंग हजार,ना बदले तो बिके नहीं, सड़ता बीच बजार. सभी जन चमचे राखिए,बिन चमचे सब सून,चमचा जंतर …
अंदाज़ तदबीरों से अरमान सँवरते देखे हैं,तकरीरों से अल्फाज़ सुलगते देखे हैं,तकदीरें बदले जो पहलू तो तस्वीरों के अंदाज़ बदलते देखे हैं. अक्षिणी भटनागर