• सब स्वरों में ओम तुम हो
    नश्वरों में प्राण तुम
    ज्योति का आह्वान तुमसे
    हो सकल संसार तुम

  • या खुदाया, मेरे हिंद में
    आज फिर ईद हो जाए..
    शीर फिरनी न सही, दाने तो
    मुफिद हो जाएं..

    Poetries

    अंदाज़

    तदबीरों से अरमान सँवरते देखे हैं,
    तकरीरों से अल्फाज़ सुलगते देखे हैं,
    तकदीरें बदले जो पहलू तो 
    तस्वीरों के अंदाज़ बदलते देखे  हैं.

    चलते चलते..

    चलते – चलते, रुकते – थमते,
    झुकते – चुकते, बनते – ठनते,
    शब्दों के ताने जुड़ जाएं
    और कविता बन जाए..

    आभार..

    सब स्वरों में ओम तुम हो,
    नश्वरों में प्राण तुम.
    ज्योति का आह्वान तुमसे,
    हो सकल संसार तुम.

    About Akshini Bhatnagar

    Akshini Bhatnagar, a name to reckon with in the literary and media circles is a freelance scribe and anchor. An accomplished and proficient emcee Akshini is known for her impromptu spontaneous anchoring skills.

    Equally adept in English and Hindi she has a penchant for using Hindi & Urdu couplets in her programmes. Her chatty style and her great sense of humour add sparkle and zing to her compereing, enlivening many an afternoon or evening.

    Programmes anchored.
    Bimb Pratibimb News Magazine

    क़तरा क़तरा धूप - कविता संग्रह

    मुझे भय और संकोच होता है जानकारों के लेखन की समीक्षा करते हुए, पुस्तक के प्रति आशंकित होता हूँ, और अपनी साहित्यिक सामर्थ्य को ले कर आतंकित रहता हूँ। अक्षिणी जी से परिचय ट्विटर से है। पुस्तक प्राप्त होने के बाद मैं लम्बे समय, कोई महीना दो महीना, इसे देखता रहा और इससे भयभीत होता रहा। यदि कविता पसंद न आयीं, तो क्या समीक्षा करूँ और यदि पसंद आयी तो क्या मेरी योग्यता होगी एक अकवि होने के नाते उसकी समीक्षा कर पाने की। 

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    A Festival for Literature & Cinema

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