Leave a Comment / Poetries / By AkshiniBhatnagar काश तुम न होते.. काश तुम न होते .. तो मैं जी पाती जी भर,आँखों में भर पाती अंबर..तुम्हारे साथ जीवन ,दिन रात की तपन.. मैं बाँध के घुँघरू नाच न पाऊँ,दूर क्यूँ तुमसे भाग न पाऊँबात ये तुमसे कह न पाऊँ,साथ ये तेरा सह न पाऊँ.. काहे बाँधा व्यर्थ का बँधन,चुभता है अब ये आलिंगन..दिया नहीं जब कोई आमंत्रण..रहने दो ये अनचाहा आरोपण.. चिड़िया सी मैं चुगने वाली,तितली सी मैं उड़ने वाली,छीन लिए हैं रंग जो तुमने,नोच लिए हैं पँख जो तुमने.. उड़ना चाहूं, उड़ ना पाऊं,चाहे जितना जोर लगाऊं..काहे खेला मुझसे ये छल?काहे उलझे मुझसे आकर ? घुटती साँसे करती लाख जतन,तुम ना समझो पल पल की घुटन..निर्मोही निर्मम निर्लज्ज हे मेरे मोटापे..मुझे छोड़ दो अब..मुँह मोड़ लो अब.. अक्षिणी भटनागर