Leave a Comment / Poetries / By AkshiniBhatnagar घर द्वार देखो.. सुनो मेरी चाचियों सुनों मेरी ताईयों,सुनो मेरी बहनों सुनो भौजाईयों.ज़रा अपनी सूती साड़ियां ऊपर रखो,कोई रेशमी अच्छी साड़ियां पहन लो. सुनो मेरी…थोड़ा अपना चौका बासन देख लो,थोड़ा अपना घर द्वार बुहार लो.बहुत हो गए चुनाव दौरे,अब फुरसत ही फुरसत है. सुनो मेरी..जो हार गए तो आराम हैपांच बरस कोई हुज्जत नहीं..जीते तो सरकार हम चलाएंगे,तुम्हारी कोई जरूरत नहीं.. अब तुम अपना घर द्वार देखो,टाबर ढांगर परिवार देखो.. अक्षिणी भटनागर