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अथ श्री – पुराण

समस्त संत- संतनियों को प्रणाम,
शुरू करते हैं लेकर राम का नाम.
खाली स्थान छोड़ा है जान बूझ कर ,
चर्चा जिसकी है उसे रखते नहीं सर पर.
मिलते हैं ये भांति भांति के,
सब जाति और प्रजाति के.
काठियावाड़ी चोंचदार
तो जोधपुरी नोकदार,
कोल्हापुरी दमदार
तो कानपुरी रोबदार
नया हो तो जगमगाए,
और पुराना चरमराए
चाँदी का चुभ जाए,
और चमड़े का काट खाए
भीगा हो तो पटपटाए,
घिसा हो तो सरपटाए
साली छुपाए तो लाख कमाए
देवर छुपाए तो कुछ ना पाए
जनता का हथियार बने
राजनेता पर ये वार बने
आदमी की ये हैसियत बताए
और औरत की उम्र बताए
अक्ल का इलाज है ये
पैरों की सबके लाज है ये
पड़ता तो हवाई है और
चलता तो सवाई है.
जैसे तैसे कथा सुनाई है
समझ गए तो बधाई है..

अक्षिणी भटनागर

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