Leave a Comment / Poetries / By AkshiniBhatnagar Share आप के पाप.. ये आप के पाप,दिल्ली के हैं श्रापदिल्ली तुझको,करना होगा पश्चाताप ये आप के आप,नोट रहे हैं छापआस्तीन के साँप,और साँपों के बाप ये आप के आप,काम हैं इनके झाड़ू छापजनता रखती सबकी माप,नहीं करेगी अबकी माफ ये आप के आप,एल जी निकले आप के बाप,कान के नीचे दे दी झापआप के आप अब रस्ता नाप अक्षिणी भटनागर