एक था…
एक था… एक था केजरीवाल..धरनाधीश हुआ करता था जो कमाल,अपने ही चेहरे पे मला करता था गुलाल. एक था केजरीवाल..इन दिनों जाने कहाँ गई उसकी जुबान,निकाला करता था बहुत बाल की खाल. एक था केजरीवाल..बहुत करता था जो फालतू के सवाल,अपनी ही धोती फाड़ के कर देता था रुमाल. एक था केजरीवाल..दिल्ली का कर दिया …